tag:blogger.com,1999:blog-49445709488951586082024-03-13T04:35:45.123-07:00History Of YodhaHarikesh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/14491335750627084719noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4944570948895158608.post-24270701297833909932016-07-05T05:35:00.000-07:002016-07-05T05:42:15.498-07:00Prithviraj Chauhan History in Hindi<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><b>Prithviraj Chauhan</b></span> पृथ्वीराज चौहान एक राजपूत राजा थे जिन्होंने 12वी
सदी में उत्तरी भारते के दिल्ली और अजमेर साम्राज्यों पर शाशन किया था
| पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के सिंहासन पर राज करने वाले अंतिम स्वत्रंत
हिन्दू शाषक थे | राय पिथोरा के नाम से मशहूर इस राजपूत राजा ने चौहान वंश
में जन्म लिया था |पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1149 में अजमेर में हुआ था |
उनके पिता का नाम सोमेश्वर चौहान और माता का नाम कर्पूरी देवी था |</div>
<div style="text-align: justify;">
</div>
<div style="text-align: center;">
<img alt="https://seohindiclass.blogspot.com/" class="shrinkToFit" height="235" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/proxy/AVvXsEiZ_GNg8fwdoNPAcnm12DiYg6W_DH7bOLxsgtPMBoMsfdtMF51G6aMjJGxD8LoB6w8XTHts8Ejg1yr0IvB3rErLUhiFTJwV_nuLQCmWVJV-MjJDf3_qxXyFLOrf4HZ10Ex5lOYxYz-LmJwAe9xIMtLaBjKVfMIDyaN_t9v8q_vheEV2SMaJT9dUhfcLULKxOGdrpNOPJv_lCyqLa07xxfdRbv1d1wCOXvdMZ7ye=s0-d" title="" width="400" /> </div>
<div style="text-align: center;">
</div>
<h3 style="text-align: justify;">
Early Life of Prithviraj Chauhan पृथ्वीराज चौहान का प्रारम्भिक जीवन</h3>
<div style="text-align: justify;">
Prithviraj Chauhan पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही बहुत बहादुर और युद्ध
कला में निपुण थे | उन्होंने बचपन से ही शब्द भेदी बाण कला का अभ्यास किया
था जिसमे आवाज के आधार पर वो सटीक निशाना लगाते थे | 1179 में युद्ध में
उनके पिता की मौत के बाद चौहान को उत्तराधिकारी घोषित किया गया | उन्होंने
दो राजधानियों दिल्ली और अजमेर पर शाषन किया जो उनको उनके नानाजी अक्रपाल
और तोमरा वंश के अंगपाल तृतीय ने सौंपी थी | राजा होते हुए उन्होंने अपने
साम्राज्य को विस्तार करने के लिए कई अभियान चलाये और एक बहादुर योद्धा के
रूप में जाने जाने लगे | उनके मोहम्मद गौरी के साथ युद्ध की महिमा कनौज के
राजा जयचंद की बेटी संयुक्ता के पास पहुच गयी |</div>
<div style="text-align: justify;">
</div>
<div style="text-align: justify;">
जयचंद की ख्याति के दिनों में प्रतिद्वंदी राजपूत वंश ने खुद को दिल्ली
में स्थापित कर लिया था | उस वक़्त दिल्ली पर पृथ्वीराज चौहान का राज था जो
एक बहादुर और निडर व्यक्ति था | लगातार सैन्य अभियानों के चलते पृथ्वीराज
ने अपना साम्राज्य राजस्थान के साम्भर , गुजरात और पूर्वी पंजाब तक फैला
दिया था | उनकी लगातार बढ़ती ख्याति को देखकर शक्तिशाली शाषक जयचंद उससे
इर्ष्या करने लग गया था |Prithviraj Chauhan पृथ्वीराज के बहादुरी के
किस्से देश में दूर दूर तक फ़ैल गये और वो आमजन में बातचीत का मुख्य हिस्सा
बन गये थे |</div>
<div style="text-align: justify;">
</div>
<h3>
Prithviraj Chauhan and Sanyogita Love Story पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम गाथा</h3>
<h3 style="text-align: center;">
<img alt="https://seohindiclass.blogspot.com/" height="206" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/proxy/AVvXsEjgAMOCSzU-8acrROFonBaogrC9iKY7WeKj6eScrQ4afjc4EDJaU5DceVimjbBlFOh-rN5dNarIzMbsaU7Fjn4eQeMzmSlJusHbp_7BCH0_yvGUgVtbMPYRncyXQJpPU_Qn_m9-GyqU6I0Tj91X7U-Toh8GOAhJXQoB5qE5OQ8dqY6m68drJ0vmoLMa58VxEjg4uDz3ogmnH1WF4A8ApAevu56bIERZTQCsTD2iJM8=s0-d" title="" width="400" /> </h3>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="font-size: small;"><span style="font-family: "arial" , "helvetica" , sans-serif;"><span style="font-weight: normal;">पृथ्वीराज की बहादुरी के किस्से जब जयचंद की बेटी संयोगिता के पास पहुचे
तो मन ही मन वो पृथ्वीराज से प्यार करने लग गयी और उससे गुप्त रूप से
काव्य पत्राचार करने लगी | संयोगिता के अभिमानी पिता जयचंद को जब इस बात का
पता चला तो उन्होंने अपनी बेटी और उसके प्रेमी पृथ्वीराज को सबक सिखाने का
निश्चय किया |
</span></span></span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<div style="text-align: justify;">
जयचंद ने अपनी बेटी का स्वयंवर आयोजित किया जिसमे हिन्दू वधु को अपना वर
खुद चुनने की अनुमति होती थी और वो जिस भी व्यक्ति के गले में माला डालती
वो उसकी रानी बन जाती | जयचंद ने देश के सभी बड़े और छोटे राजकुमारों को
शाही स्वयंवर में साम्मिलित होने का न्योता भेजा लेकिन उसने
जानबुझकर पृथ्वीराज को न्योता नही भेजा | यही नही बल्कि पृथ्वीराज को
बेइज्जत करने के लिए द्वारपालों के स्थान पर पृथ्वीराज की मूर्ती लगाई |</div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
</div>
<div style="text-align: center;">
<img alt="https://seohindiclass.blogspot.com/" height="223" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/proxy/AVvXsEgpoOBTIErlDbw6y9lcI3aVCoCJ3TujBxzNvSDsepWR37V5umxbJA-R-ghuQjrVOqQKikKqmLHbzhw_ct9uQxM7lmD3Ps-uT9spRBQufzWRRWsEgmvbgmVV153bczCvbsw111_w_KceIdeiQ9EX-nWnU2Q18fkSGUBIaDqTUh5bLUKVz61TFO7egFx_dLHuTZFX-GNGhOYqIIM6=s0-d" title="" width="400" /></div>
<div style="text-align: center;">
</div>
<div style="text-align: justify;">
Prithviraj Chauhan पृथ्वीराज को जयचंद की इस सोची समझी चाल का पता चल
गया और उसने अपनी प्रेमिका सयोंगिता को पाने के लिए एक गुप्त योजना बनाई |
स्वयंवर के दिन सयोंगिता सभा में जमा हुए सभी राजकुमारों के पास से गुजरती
गयी | उसने सबको नजरंदाज करते हुए मुख्य द्वार तक पहुची और उसने द्वारपाल
बने पृथ्वीराज की मूर्ति के गले में हार डाल दिया | सभा में एकत्रित सभी
लोग उसके इस फैसले को देखकर दंग रह गये क्योंकि उसने सभी राजकुमारों को
लज्जित करते हुए एक निर्जीव मूर्ति का सम्मान किया |
</div>
<div style="text-align: justify;">
लेकिन जयचंद को अभी ओर झटके लगने बाकि थे | पृथ्वीराज उस मूर्ति के पीछे
द्वारपाल के वेश में खड़े थे और उन्होंने धीरे से संयोगिता को उठाया और
अपने घोड़े पर बिठाकर द्रुत गति से अपनी राजधानी दिल्ली की तरफ चले गये
|जयचंद और उसकी सेना ने उनका पीछा किया और परिणामस्वरूप उन दोनों राज्यों
के बीच 1189 और 1190 में भीषण युद्ध हुआ जिसमे दोनों सेनाओ कको काफी नुकसान
हुआ</div>
<h3>
मुहम्मद गौरी का आक्रमण और पृथ्वीराज की उदारता Muhammad Gauri Attack</h3>
<h3 style="text-align: center;">
<img alt="https://seohindiclass.blogspot.com/" height="218" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/proxy/AVvXsEhdOv3oKQepiN9N8bgnwq9LErk6oZxAYNnyy-RCzftjGEI8oKKaU3H6b4Wk97N39m1mPSaBwvI1UdDZCJsopvN37e0uUYLsqEHMQRPgjqQvQvGHYzNErPPw5jeza5MPHQLE5hHlxaQtU-OYvkZM8cqlxq6N89PTrxM2Ph5RSVhT-sH5beJS4DurrPjkw5rNg6fgt-Oc1RXOTrzJ8C4t=s0-d" title="" width="400" /> </h3>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="font-size: small; font-weight: normal;"><span style="font-size: xx-small;">पृथ्वीराज और जयचंद दोनों के इस लड़ाई का फायदा उठाते हुए एक अफघानी
घुसपैठिया मुहम्मद गौरी ने भारत में प्रवेश कर लिया और पंजाब में घजनाविद
की सेना को पराजित कर दिया | मुहम्मद गौरी ने अब पृथ्वीराज के साम्राज्य तक
अपने राज का विस्तार करने का निश्चय किया |मुहम्मद गौरी ने पूर्वी पंजाब
के भटिंडा के किले की घेराबंदी कर ली जो कि पृथ्वीराज का सीमान्त प्रांत था
| हिन्दुओ ने हमेशा युद्ध के नियमो के अनुसार सूर्योदय के बाद और
सूर्यास्त से पहले दिन में लड़ाई का पालन किया लेकिन बुज्दिल मुस्लिम शाशकों
ने सदैव रात्री को ही आक्रमण किया जब हिन्दू राजा और सैनिक उनके सैनिको के
घावो का उपचार कर रहे होते है |</span></span>
</h3>
<div style="text-align: justify;">
मुहम्मद गौरी ने भी रात को अचानक आक्रमण कर दिया और उसके मंत्रियों ने
जयचंद से मदद की गुहार की लेकिन जयचंद ने इसका तिरस्कार करते हुए मदद करने
से मना कर दिया |निडर पृथ्वीराज ने भटिंडा की तरफ अपनी सेना भेजी और 1191
में प्राचीन शहर थानेसर के निकट तराइन नामक जगह पर उसके शत्रुओ से सामना
हुआ | जिद्दी राजपूतो के आक्रमण की बदोलत पृथ्वीराज ने विजय प्राप्त की और
मुस्लिम सेना मुहम्मद गौरी को पृथ्वीराज के समक्ष छोडकर रण से भाग गयी |</div>
<div style="float: none; margin: 10px 0px; text-align: justify;">
<ins class="adsbygoogle" data-ad-client="ca-pub-9524035114565012" data-ad-format="auto" data-ad-slot="8471176110" style="display: block;"></ins></div>
<div style="text-align: justify;">
मुहम्मद गौरी को बेडियो में बांधकर पृथ्वीराज की राजधानी पिथोरगढ़ लाया
गया और उसने पृथ्वीराज के समक्ष दया की भीख माँगी | मुहम्मद गौरी ने घुटनों
के बल बैठकर उसकी शक्ति की तुलना अल्लाह से करी | भारत के वैदिक नियमो के
अनुसार पृथ्वीराज ने मुहम्मद गौरी को क्षमा कर दिया क्योंकि वो एक पड़ोसी
राज्य का ना होकर एक विदेशी घुसपैठिया था | बहादुर राजपूत पृथ्वीराज ने
सम्मानपूर्वक मुहम्मद गौरी को रिहा कर दिया |</div>
<h3 style="text-align: justify;">
पृथ्वीराज चौहान की हार और कैद Prithviraj Chauhan Defeat</h3>
<h3 style="text-align: justify;">
</h3>
<div style="text-align: justify;">
मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज की उदारता का सम्मान ना करते हुए 1192 में
फिर रात को पृथ्वीराज पर आक्रमण कर दिया | मुहम्मद गौरी ने 17वी बार अपनी
पहले से मजबूत सेना के साथ मध्यांतर से पहले राजपूत सेना पर आक्रमण
कर पृथ्वीराज को पराजित कर दिया | इस बार पराजित पृथ्वीराज को बेडियो में
बांधकर अफ़ग़ानिस्तान लाया गया |</div>
<div style="text-align: justify;">
Prithviraj Chauhan पृथ्वीराज की व्यथा यही पर खत्म नहीं हुयी | घोर में
कैदी रहते हुए उसको घसीटते हुए मुहम्मद गौरी के दरबार में लाया गया और
उसको मुस्लिम बनने के लिए प्रताड़ित किया गया | जब पृथ्वीराज को मुहम्मद
गौरी के समक्ष लाया गया तो वो गौरी की आंख में आँख मिलाकर घुर रहा था
| पृथ्वीराज का ये कृत्य गौरी को बहुत अपमानित लगा और उसने पृथ्वीराज को
आँखे नीची करने का आदेश दिया | पृथ्वीराज ने उसको कहा कि “आज मेरी वजह से
ही तू जिन्दा है और एक राजपूत की आँखे मौत के बाद ही नीचे होती है ”</div>
<div style="text-align: justify;">
पृथ्वीराज की ये बात सुनकर गौरी आग बबूला हो गया और उसने पृथ्वीराज की
आँखे गर्म सलाखों से जला देने का आदेश दिया | पृथ्वीराज की आँखे फोड़ देने
के बाद कई बार उसको गौरी के दरबार में लाकर प्रताड़ित किया जाता था और उसको
भारत की संस्कृति को नकली बताकर उसे गालिया दी जाती थी | उस समय पृथ्वीराज
का पूर्व जीवनी लेखक चन्दवरदाई उनके साथ था और उसने पृथ्वीराज की जीवन पर
पृथ्वीराज रासो नाम की जीवन गाथा लिखी थी |चन्दवरदाई ने पृथ्वीराज को उनके
साथ हुए अत्याचारों का बदला लेने को कहा |</div>
<div style="text-align: justify;">
उन दोनों को एक मौका मिला जब गौरी ने तीरंदाजी का खेल आयोजित किया
| चन्दवरदाई की सलाह पर पृथ्वीराज ने गौरी से इस खेल में सामिलित होने की
इच्छा जाहिर की | पृथ्वीराज की ये बात सुनकर गौरी के दरबारी खिक खिलाकर
हंसने लगे कि एक अँधा कैसे तीरंदाजी में हिस्सा लेना चाहता है | पृथ्वीराज
ने मुहम्मद गौरी से कहा कि या तो वो उसे मार दे या फिर खेल में हिस्सा लेने
दे | चन्दरवरदाई ने पृथ्वीराज की और से गौरी को कहा कि एक राजा होने के
नाते वो एक राजा के आदेश की मान सकता है | मुहम्मद गौरी के जमीर को चोट लगी
और वो राजी हो गया |</div>
<div style="text-align: justify;">
बताये हुए दिन गौरी अपने सिंहासन पर बैठा हुआ था और पृथ्वीराज को मैदान
में लाया गया | पृथ्वीराज को उस समय पहली बार बेडियो से मुक्त किया गया |
गौरी ने पृथ्वीराज को तीर चलाने का आदेश दिया और पृथ्वीराज ने गौरी की आवाज़
की दिशा में गौरी की तरफ तीर लगाया और गौरी उसी समय मर गया | इस दृश्य को
चन्दरवरदाई ने बड़े सुंदर शब्दों में उल्लेख किया</div>
<br />
<div style="text-align: center;">
<span style="color: #339966;">दस कदम आगे , बीस कदम दाए , बैठा है सुल्तान , अब मत चुको चौहान , चला दो अपना बाण</span></div>
<div style="text-align: center;">
</div>
<div style="text-align: center;">
<span style="color: #339966;"><img alt="https://seohindiclass.blogspot.com/" height="217" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/proxy/AVvXsEglDaroOmmA_Tkqomxj4rTfPPBKpkjVrV_PryJudJ-f0k6sCZDAE_LPera5p_WvUKZy6WqVo0iBSQDvRBPK8Uk7mPAdarVuFe_FbaxU3Q-Z9qkJmJVyUop9Hs1XwmR-dAiAeeApM8g_hq70APc9qtHerFmyC0LNdkLMc0p9JyZckdKi70AD2EKPObAzYXscvRfqK5yIMHUoihHG=s0-d" title="" width="400" /> </span></div>
<div style="text-align: center;">
</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: #339966;"><span style="color: black;">पृथ्वीराज के अचानक हमले ने गौरी को मौत के घाट उतार दिया और दिल्ली पर
सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाले अंतिम हिन्दू शाषक को गौरी के मंत्रियों
ने हत्या कर दी | उन्होंने पृथ्वीराज के शव को हिन्दू रीती रिवाजो के
अनुसार क्रियाकर्म नही करने दिया और मुहम्मद गौरी की कब्र के नजदीक उनके शव
को दफना दिया | उन्होने पृथ्वीराज की कब्र पर थूकने और अपमानित करने की
परम्परा नही छोड़ी जो आज भी वहा प्रचलित है | इस तरह एक महान हिन्दू शाशक का
अंत हुआ और इसके बाद अगले 700 वर्ष तक भारत मुस्लिमो के अधीन रहा जब तक की
ब्रिटिश सरकार नही आयी |</span>
</span></div>
<div style="text-align: justify;">
इसके बाद कई हिन्दू राजा दिल्ली को मुस्लिमो से मुक्त कराने में लगे
रहे जिसमे राणा अनंग पाल , राणा कुम्भा , राजा मलदेव राठोड , वीर दुर्गादास
राठोड , राणा सांगा , राजा विक्रमादित्य, श्रीमंत विश्वास राय आदि ने
मुस्लिम शाशको ने कई वर्षो तक सामना किया |</div>
<br />
<h3>
Prithviraj Chauhan Grave and Legacy पुथ्वीराज चौहान की अफ़ग़ानिस्तान में कब्र और उसकी मिटटी भारत लाना</h3>
<h3>
</h3>
<div style="text-align: justify;">
पृथ्वीराज को अफ़ग़ानिस्तान में दफनाया गया और कई बार उनकी कब्र को भारत
लाने की याचिका की | अफ़ग़ानिस्तान में एक परम्परा के अनुसार गौरी की कब्र को
देखने वाले लोग पहले चौहान की कब्र को चप्पलो से मारते है उस पर कूदते है
और फिर गौरी की कब्र देखने को प्रवेश करते है | तिहाड़ जेल में कैद फूलन
देवी की हत्या करने वाले शेर सिंह राणा ने को जब इस बात का पता चला तो उसने
एशिया की सबसे उच्चतम सुरक्षा वाली जेल से भागकर भारत के सम्मान को फिर से
भारत में लाने के लिए गये</div>
<div style="text-align: justify;">
</div>
<div style="text-align: justify;">
शेर सिंह राणा अपने राज की कब्र की खोज में अफ़ग़ानिस्तान निकल पड़ा लेकिन
उसे कब्र की जगह के बारे में अनुमान कम था | उसने तो केवल कब्र के अपमानित
होने की बात सूनी थी | वो कांधार , काबुल और हेरत होता हुआ अंत में घजनी
पहुच गया जहा पर मुहम्मद गौरी की कब्र का उसे पता चल गया | राणा को स्थानीय
लोगो को पाकिस्तान का बताकर गौरी के कब्र को बहाल करने की बात कही | अपनी
चालबाजी से उसने चौहान की कब्र को खोदकर मिटटी इक्कठी की और भारत लेकर आया |
उसकी इस उपलब्धि को फोटो और वीडियो में भी रिकॉर्ड किया गया</div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<iframe allowfullscreen="" class="YOUTUBE-iframe-video" data-thumbnail-src="https://i.ytimg.com/vi/vi_63n6YK_8/0.jpg" frameborder="0" height="266" src="https://www.youtube.com/embed/vi_63n6YK_8?feature=player_embedded" width="320"></iframe></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
2005 में राणा भारत आया और उसने कुरियर से चौहान की अस्थिया इटावा में
भेजी और स्थानीय नेताओ की मदद से एक उत्सव आयोजित किया | राणा की माँ
सात्वती देवी मुख्य मेहमान थी और उन्होंने अपने बेटे को भारत का गर्व भारत
लाने पर आशीर्वाद दिया | भारतीय सरकार ने इसके बाद अफगानिस्तान में चौहान
की कब्र को हटाने का आदेश दिया और इस महान सम्राट की सारी अस्थिया भारत को
स्म्म्नापुर्वक सौंपने की बात कही | अफ़ग़ानिस्तान ने भारत की बात स्वीकार कर
ली और वैदिक पूजा के साथ महान हिन्दू राज पृथ्वी राज चौहान का अंतिम
संस्कार किया गया |
</div>
</div>
Harikesh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/14491335750627084719noreply@blogger.com0